उच्च शिक्षा के लिए अपने घर से मीलों दूर नहीं जाना होगा पहाड़ कि बेटियों को

प्रदेश के दूरदराज के गांवों की बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए अपने घर से मीलों दूर या दूसरे जिलों में नहीं जाना पड़ेगा। प्रदेश सरकार प्रत्येक विकासखंड में महाविद्यालय खोलने योजना तैयार कर चुकी है। इतना ही नहीं, प्रत्येक जिले में एक महाविद्यालय को मॉडल कॉलेज के रूप में विकसित करने की भी तैयारी है। सरकार की मंशा है कि दूरदराज के छात्र-छात्राएं 12वीं करने के बाद उच्च शिक्षा भी ग्रहण करें। प्रदेश सरकार ने बजट में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया है। साथ ही सभी छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा आसानी से प्राप्त हो, इसका विशेष ध्यान रखा है।

उच्च शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेज व विवि में डिजीटल लॉकर की सुविधा शुरू की है। अभी तक 17 लाख, 51 हजार छात्र-छात्राओं के प्रमाण पत्र डिजीटल लॉकर के माध्यम से पंजीकृत हो चुके हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए राजकीय महाविद्यालयों में वीडियो कॉन्फेंस के लिए अलग से ‘चैट रूम ‘ की व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश के 18 आइटीआइ ऐसे हैं, जहां प्रशिक्षण के साथ विभिन्न उत्पादों का निर्माण भी किया जा रहा है। मसलन हस्तशिल्प के उत्पाद, फेब्रिकेशन का सामान, घर का सजावटी सामान आदि। इस वर्ष सरकार चार और आइटीआइ में प्रशिक्षण के साथ उत्पादों का निर्माण भी शुरू करेगी, ताकि आइटीआइ करने वाले छात्र कंपनी कार्यों में भी दक्ष हो सकें। वर्ष 2022 तक प्रत्येक महाविद्यालय का अपना भवन होगा।

श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डॉ.पीपी ध्यानी का कहना है कि प्रत्येक विकासखंड में महाविद्यालय खोलने की योजना बेटियों के लिए सौगात है। दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्र में आज भी बेटियों को बीए, बीएससी या एमए, एमएसी के लिए शहरों की ओर आना पड़ता है। यदि शोध करना है तो अपने जिले से पलायन भी करना पड़ता है। सभी सुविधाओं से लैस महाविद्यालय उनके विकासखंड में होगा तो इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल का कहना है कि सरकार ने गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए महाविद्यालय में प्रवेश के लिए 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की है, इससे पहाड़ी क्षेत्र के गरीब प्रतिभावान छात्रों को लाभ मिलेगा। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते कई बार प्रतिभावान गरीब छात्र अच्छे नंबर लाने के बाद भी सरकारी कॉलेजों में दाखिले से महरूम रह जाते हैं। सरकार का यह प्रयास स्वागत योग्य है।

प्रदेश के 18 आइटीआइ ऐसे हैं, जहां प्रशिक्षण के साथ विभिन्न उत्पादों का निर्माण भी किया जा रहा है। मसलन हस्तशिल्प के उत्पाद, फेब्रिकेशन का सामान, घर का सजावटी सामान आदि। इस वर्ष सरकार चार और आइटीआइ में प्रशिक्षण के साथ उत्पादों का निर्माण भी शुरू करेगी, ताकि आइटीआइ करने वाले छात्र कंपनी कार्यों में भी दक्ष हो सकें। वर्ष 2022 तक प्रत्येक महाविद्यालय का अपना भवन होगा।

श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति डॉ.पीपी ध्यानी का कहना है कि प्रत्येक विकासखंड में महाविद्यालय खोलने की योजना बेटियों के लिए सौगात है। दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्र में आज भी बेटियों को बीए, बीएससी या एमए, एमएसी के लिए शहरों की ओर आना पड़ता है। यदि शोध करना है तो अपने जिले से पलायन भी करना पड़ता है। सभी सुविधाओं से लैस महाविद्यालय उनके विकासखंड में होगा तो इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल का कहना है कि सरकार ने गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए महाविद्यालय में प्रवेश के लिए 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की है, इससे पहाड़ी क्षेत्र के गरीब प्रतिभावान छात्रों को लाभ मिलेगा। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते कई बार प्रतिभावान गरीब छात्र अच्छे नंबर लाने के बाद भी सरकारी कॉलेजों में दाखिले से महरूम रह जाते हैं। सरकार का यह प्रयास स्वागत योग्य है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *