मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किया पहला बाल मित्र थाने का उद्घाटन ;उत्तराखंड के सभी जिलों में बाल मित्र थाना होगा

बाल अपराधों पर अंकुश और बच्चों के लिए भयमुक्त वातावरण बनाने के लिए उत्तराखंड के सभी जिलों में बाल मित्र थाना बनाए जाएंगे। इसी क्रम में राज्य का पहला बाल मित्र पुलिस थाना डालनवाला में शुरू हो गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बाल थाने का उद्घाटन किया। इस दौरान सीएम ने कहा, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह हैं, जिन्हें अच्छा व्यक्ति बनाने के ढाल सकते हैं। बच्चों में थाने के नाम से भय न हो इसको लेकर यह व्यवस्था बनाई गई है। आयोग और पुलिस का बाल मित्र थाने के माध्यम से बच्चों को बेहतर माहौल दिलाने व आगे बढ़ाने का प्रयास सराहनीय है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों की सहायता के लिए एक करोड़ रुपये की घोषणा की। कहा कि निराश्रित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के सरकार प्रयासरत है। राज्य सरकार ने निराश्रित बच्चों को पांच, जबकि दिव्यांगजन को चार फीसद आरक्षण दिया।

उन्होंने कहा कि कमजोर को सबल बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि आयोग और पुलिस के संयुक्त प्रयास से बाल थाना खोला गया है। अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों की बाल मित्र थाना में विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी। साथ ही उन्हें बेहतर माहौल देने का प्रयास किया जाएगा। कहा कि बाल संरक्षण के लिए पुलिस का सहयोग आगे भी मिलता रहेगा। उन्होंने सरकार से बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए राहत कोष गठन की मांग की। उन्होंने कहा कि अन्य जिलों में भी बाल मित्र थाने के लिए प्रत्येक जिले को एक एक लाख रुपये आवंटित गया है।

इसमें पुलिस विभाग व विभिन्न संस्थाओं की मदद भी ली जाएगी ।इस मौके पर महापौर सुनील उनियाल गामा, बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी, डीजीपी अशोक कुमार, आइजी लायन एंड ऑर्डर वी मुरूगेशन, डीजीपी अशोक कुमार, डीआइजी नीरू गर्ग, एसपी सिटी श्वेता चौबे, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल, महिला एवं बाल विकास के सचिव एचसी सेमवाल, जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्रा,विधायक खजानदास, दर्जाधारी राजकुमार पुरोहित, पार्षद भूपेंद्र कठैत आदि मौजूद रहे।बाल मित्र थाने में डालनवाला थाने से ही पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाने की व्यवस्था की जा रही है, मगर यहां पुलिसकर्मी वर्दी में नहीं रहेंगे। इसके लिए थाने में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। जरूरत पड़ने पर आयोग, वन स्टॉप सेंटर और अस्पतालों से काउंसलर यहां बच्चों की काउंसलिंग भी करेंगे।

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