हल्द्वानी की हाट सीट पर भाजपा जीत के लिए और कांग्रेस गढ़ बचाने की जोर आजमाइश।


हल्द्वानी : विधानसभा क्षेत्र हल्द्वानी हमेशा से ही हाट सीट मानी जाती रही है। यह कुमाऊं का प्रवेश द्वार है और आर्थिक व सामाजिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र भी। इस सीट पर पार्टी के परंपरागत वोट के साथ ही प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि भी बहुत मायने रखती है। मैदान में इस बार दोनों राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। यानी की सीधा मुकाबला कहा जा सकता है।

वैसे इस सीट के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो राज्य बनने के बाद ही इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। वर्ष 2007 में एक बार भाजपा प्रत्याशी बंशीधर भगत विजयी रहे थे। इसके बाद कांग्रेस की दिग्गज नेता रही डा. इंदिरा हृदयेश विधायक रही। उनका क्षेत्र में अच्छा वर्चस्व माना जाता था। अबकी बार उनके बेटे सुमित हृदयेश कांग्रेस प्रत्याशी हैं। मुकाबले में शहर से दो बार के महापौर डा. जोगेन्द्र सिंह रौतेला भाजपा से प्रत्याशी हैं। इसमें 151396 मतदाता, जिनके सामने 13 प्रत्याशी खड़े हैं।

सीट पर पिछले चुनाव का गणित:
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में डा. इंदिरा हृदयेश 43786 मत हासिल किए और वह भाजपा प्रत्याशी डा. जोगेन्द्र रौतेला से 6547 मतों से विजयी रही थी। तब भी कड़ा मुकाबला था और डा. रौतला ने 37239 वोट हासिल किए थे।

परंपरागत वोट व विशेष क्षेत्र का फैक्टर

हल्द्वानी सीट पर जातिगत से ज्यादा क्षेत्र विशेष का फैक्टर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। बनभूलपुरा से लाइन नंबर 17 तक अल्पसंख्यक वोटरों की अच्छी-खासी संख्या है। वैसे यह वोट बैंक कंाग्रेस का माना जाता है, लेकिन सपा, बसपा के प्रत्याशियों ने भी पिछले चुनावों में अच्छे वोट हासिल किए थे। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में ही मुस्लिम प्रत्याशी ने 19063 वोट प्राप्त किए थे।
2017 के चुनाव में भी मुस्लिम प्रत्याशी को 11817 वोट मिले थे। इस बार भी दो मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं। दूसरे क्षेत्र में भाजपा का भी अच्छा-खासा परंपरागत वोट है। कुछ क्षेत्रों में प्रत्याशियों की अपनी व्यक्तिगत छवि का भी असर रहेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य का हब बनते शहर में तमाम अन्य फैक्टर भी काम करेंगे। इसलिए दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला रोमांचक दौर में पहुंच चुका है।

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