तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ सकते हैं कांग्रेस विधायक हरीश धामी
प्रदेश में नई नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस के भीतर विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। नाराज चल रहे करीब 10 विधायकों ने बुधवार को भी गुपचुप तरीके से बैठकों का सिलसिला जारी रखा। नवनियुक्त पदाधिकारियों से इन विधायकों ने दूरी बनाई हुई है। असंतोष प्रबंधन में जुटी पार्टी भी इससे असहज है।
पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से विधायक हरीश धामी ने बगावती तेवर अपनाते हुए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। प्रदेश में पार्टी की बदहाली के लिए प्रभारी को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि विधायक जल्द ही अलग दल बनाने का निर्णय ले सकते हैं।
धामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने के साफ संकेत देकर कांग्रेस में सनसनी फैला दी है। उधर, प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष करन माहरा ने विधायकों की नाराजगी और उनकी बैठकों को एक बार फिर सिरे से खारिज किया।
साथ में यह नसीहत भी दे डाली कि पार्टी की विचारधारा और सिंबल पर चुनाव जीतने वाले विधायक उससे छल नहीं कर सकते। आखिर वे विधायक हैं, खुदा नहीं हैं।
कांग्रेस में नई नियुक्तियों को लेकर बढ़ता असंतोष राष्ट्रीय नेताओं के विरोध का रूप ले रहा है। चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में चुनाव प्रबंधन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री व चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे हरीश रावत ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चा खोला था।
चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा का परिणाम प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष पदों पर नई नियुक्तियों के रूप में सामने आया है। इसके बाद प्रदेश प्रभारी और हार की समीक्षा करने वाले राष्ट्रीय नेताओं के खिलाफ गुस्सा फूट रहा है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह हार का ठीकरा फोड़ने और गुटबाजी के लिए जिम्मेदारी ठहराए जाने पर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन पर गुस्सा निकाल चुके हैं। विधायक मदन बिष्ट और हरीश धामी के तेवर अधिक तीखे हैं।
असंतोष प्रबंधन के बावजूद ढीले नहीं तेवर:
पार्टी हाईकमान के निर्देश पर असंतोष प्रबंधन की कसरत शुरू हो चुकी है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य विधायकों व वरिष्ठ नेताओं की मान-मनौव्वल तेज कर चुके हैं।
इसके बावजूद चौथे दिन बुधवार तक नाराजगी पर काबू पाने में अभी बड़ी सफलता पार्टी के हाथ नहीं लगी है। कुल 19 विधायकों में असंतुष्टों की संख्या अधिक है। इनमें से कुछ ने ही खुलकर विरोध जताया है।
असंतुष्ट विधायकों ने गोपनीय बैठक और नए पदाधिकारियों से मेल-मुलाकात में दूरी बनाकर पार्टी के माथे पर बल डाल दिए हैं। इन्हें मनाने के लिए पार्टी को विशेष ताकत झोंकनी पड़ सकती है।
मुलायम सिंह यादव की याद दिलाते हैं देवेंद्र:
विधायक धामी ने प्रदेश प्रभारी यादव पर हमलों की धार तेज कर दी। उन्होंने कहा कि हार के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार प्रभारी है। उत्तराखंड में कांग्रेस को डुबोने का काम प्रभारी ने किया। मोतीलाल वोरा और अंबिका सोनी जैसे कद्दावर प्रभारी के स्थान पर पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को प्रभार सौंपा, जिसकी विधानसभा चुनाव में जमानत तक जब्त हो चुकी है।
धामी ने यहां तक कह दिया कि देवेंद्र यादव के नाम से मुजफ्फरनगर कांड, खटीमा कांड और मसूरी कांड के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव की याद आती है। वह प्रभारी नहीं, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पार्टी चलाने का काम कर रहे हैं।
नियमों के अनुसार बना सकते हैं अलग दल:
धामी ने कहा कि चार-चार पीढ़ी से कांग्रेस से जुड़े रहे, तीन-तीन, चार-चार साल से विधायकों की पार्टी ने उपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से उनकी नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा से कोई नाराजगी नहीं है।
यशपाल आर्य ने फोन किया तो वह उन्हें बधाई दे चुके हैं। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि उनकी करन माहरा से बात नहीं हुई। माहरा का फोन उन्होंने नहीं उठाया। धामी ने कहा कि वरिष्ठ नेता के आवास पर सभी विधायक बैठक कर नियमों के अनुसार अलग दल बनाने का निर्णय ले सकते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में क्षेत्र के विकास के लिए वह मुख्यमंत्री धामी के लिए सीट छोड़ने पर विचार कर सकते हैं।