हरिद्वार सीट पर लोकसभा की टिकट को लेकर भिड़े हरीश और हरक, जुबानी जंग तेज

रिद्वार लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के टिकट की दावेदारी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत से कड़ी चुनौती मिलने जा रही है। जुबानी जंग में दोनों नेता जिस तरह एक-दूसरे को निशाने पर ले रहे हैं।
हरिद्वार लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के टिकट की दावेदारी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत से कड़ी चुनौती मिलने जा रही है। जुबानी जंग में दोनों नेता जिस तरह एक-दूसरे को निशाने पर ले रहे हैं, उससे यह तकरीबन साफ हो गया है। टिकट की दावेदारी में विक्टिम कार्ड को भी दांव के रूप में आजमाया जा रहा है।
दांव-पेच के बीच टिकट पाने की दौड़ में भले ही किसी को भी सफलता मिले, लेकिन विक्टिम कार्ड के माध्यम से मतों के ध्रुवीकरण का खेल अभी से शुरू हो चुका है। कांग्रेस में लोकसभा चुनाव से पहले ही हरिद्वार सीट के टिकट को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में खींचतान तेज हो चुकी है। इस सीट से पहले सांसद रह चुके हरीश रावत वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव हरिद्वार से लडऩे का मन बना चुके हैं।
वर्ष 2009 में इस सीट से सांसद रह चुके हरीश रावत इस लोकसभा क्षेत्र में खूब सक्रिय हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से चुनाव लडऩे की उनकी हसरत अधूरी रह गई थी। स्थानीय को टिकट मिलने का मामला तूल पकडऩे के कारण उन्हें नैनीताल लोकसभा सीट से खम ठोकनी पड़ी थी। वर्ष 2019 में हरिद्वार का टिकट पाने की दौड़ में पिछडऩे के पीछे इस लोकसभा क्षेत्र की हरिद्वार ग्रामीण सीट से वर्ष 2017 में चुनाव हारना भी बड़ा कारण माना जाता रहा है।
वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण सीट पर पुत्री अनुपमा रावत के चुनाव जीतने और कांग्रेस को हरिद्वार की पांच विधानसभा सीटों पर सफलता मिलने से हरीश रावत उत्साहित हैं। उनका यह उत्साह तब फीका पड़ गया, जब पार्टी के भीतर से हरक सिंह रावत प्रबल दावेदार के रूप में सामने आ गए। हरीश रावत यदि प्रदेश की राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं तो हरक सिंह रावत को चुनावी राजनीति के दबंगों में शुमार किया जाता रहा है।
हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की 14 विधानसभा सीटों में तीन सीटें ऋषिकेश, डोईवाला और धर्मपुर देहरादून जिले की हैं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत की जीत में इन तीन सीटों के मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी। हरक सिंह की नजरें भी इन तीन सीटों के मतदाताओं पर टिकी हैं। हरक के दावे को कमजोर करने के लिए हरीश रावत बीते दिनों रुड़की में एक कार्यक्रम में नाम लिए बगैर हरक सिंह पर हमला बोल चुके हैं।
वर्ष 2016 में उनके नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के विरुद्ध बगावत करने वालों में हरक सिंह भी सम्मिलित रहे हैं। हरीश रावत ने इस विक्टिम कार्ड को आगे बढ़ाते हुए हरक सिंह को वर्ष 2016 का अपराधी करार दिया है। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि हरक सिंह को पहले प्रायश्चित कर चुनाव में काम करना चाहिए। उनके दावे को आगे देखा जाएगा।
वहीं, हरक सिंह रावत ने भी पलटवार में देर नहीं लगाई। हरीश रावत का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि 10-10 चुनाव हारने वाले ऐसी बातें न ही करें तो ठीक है। वह लगातार दो चुनाव हार गए तो राजनीति छोड़ देंगे। कांग्रेस में जब राहुल और प्रियंका ने उन्हें सम्मिलित किया था, तब हरीश रावत ने मना क्यों नहीं किया। हरक ने तल्ख शब्दों में टिप्पणी से जता दिया कि टिकट की दौड़ में वह पीछे हटने वाले नहीं हैं। हरक सिंह भी स्वयं को हरीश रावत के सामने विक्टिम के रूप में प्रस्तुत करने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं। एकदूसरे को लेकर दांव-प्रतिदांव और आरोप-प्रत्यारोप ने टिकट की जंग को रोचक बना दिया है।

 

 

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