जंगल बचाने के लिए दूसरे राज्यों की बेहतर पहल अपनाएगा उत्तराखंड, सीएम धामी ने दिए ये खास निर्देश
पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में विकराल होती जंगलों की आग ने सरकार की चिंता और चुनौती, दोनों बढ़ा दी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में शासन भी जंगल की आग रूपी आपदा से निपटने को सक्रिय हो गया है। जंगल बचाने को वन विभाग फौरी तौर पर तो कदम उठा ही रहा है, अब दीर्घकालिक योजनाओं पर भी काम चल रहा है। इसी कड़ी में वनों को आग से बचाने के लिए अन्य राज्यों की बेहतर पहल भी उत्तराखंड अपनाएगा। शासन ने इसके लिए वन विभाग को देश के अन्य राज्यों की पहल का गहनता से अध्ययन करने को कहा है, ताकि इसके आधार पर यहां भी कदम उठाए जा सकें। राज्य में जिस तेजी से पारा उछाल भर रहा है, उसी गति से वनों में आग की घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है।
जनवरी से अप्रैल तक हो चुकी हैं 477 घटनाएं
प्रदेश में इस वर्ष अभी तक वनों में आग की 477 घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 570 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र झुलस चुका है। गत वर्ष इसी अवधि में वनों में आग की 278 घटनाओं में 357 हेक्टेयर जंगल जला था। आंकड़ों से साफ है कि इस बार आग की घटनाएं अधिक हो रही हैं। आने वाले दिनों में जब तापमान और बढ़ेगा तो इनमें अधिक वृद्धि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस सबको देखते हुए सरकार ने भी जंगल की आग की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया है।
सीएम धामी ने दिए थे अधिकारियों को निर्देश
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही वनों को आग से बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे। इस दिशा में विभाग जुटा है, लेकिन आग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। चिंता इस बात की भी है कि अमूमन गर्मियों में धधकने वाले जंगल अब किसी भी मौसम में सुलग जा रहे हैं। यह बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने हाल में निर्देश दिए थे कि अग्नि नियंत्रण के लिए तात्कालिक कदम उठाने के साथ ही अन्य राज्यों की पहल का भी अध्ययन करा लिया जाए।
दूसरे राज्यों से अध्ययन कर बनाएं रणनीति
इसी कड़ी में प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने वन विभाग को इस दृष्टि से दूसरे राज्यों का अध्ययन करने को कहा है। प्रमुख सचिव सुधांशु के अनुसार देश के विभिन्न राज्यों में वनों को आग से बचाने को क्या रणनीति अपनाई गई है, कौन सी पहल बेहतर रही है, कहां समुदाय को इससे जोड़ा गया है, रेंजर से लेकर डीएफओ स्तर तक दायित्व का निर्वहन किस तरह का है, ऐसे तमाम बिंदुओं का अध्ययन कराने को कहा गया है।
इसके आधार पर राज्य में जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार कर इसे धरातल पर उतारा जाएगा। यही नहीं, विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि कहीं भी जंगल में आग की सूचना मिलते ही इस पर नियंत्रण के लिए तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। इसमें कोताही सहन नहीं की जाएगी।
जंगल की आग की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है यह समय: धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य में जंगल की आग की घटनाओं पर नजर रखे हैं। वह विभाग से लगातार इसकी जानकारी ले रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ने मंगलवार को मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि जंगलों को आग से बचाने के लिए समुचित कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वनों की आग की दृष्टि से समय बहुत चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में वन बचाने को तत्काल समुचित व्यवस्था होनी आवश्यक है। उन्होंने आग की सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई करने, विभागीय अधिकारियों के मध्य बेहतर तालमेल से समय रहते आग की घटनाओं की रोकथाम को कदम उठाने, अग्नि नियंत्रण में स्थानीय निवासियों, जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग लेने के लिए भी निर्देशित किया।
मुख्य सचिव रतूड़ी ने की समीक्षा
मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मंगलवार को सभी जिलों के डीएम, एसएसपी व डीएफओ के साथ हुई वर्चुअल बैठक में जंगल की आग की रोकथाम को किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। इस अवसर पर मुख्य सचिव को प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इसकी जानकारी दी गई। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जंगलों को आग से बचाने के प्रयासों में किसी भी स्तर पर कोई कमी न रहने पाए। बैठक में पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु, सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा भी उपस्थित थे।