उत्तराखंड में पिछले साल के मुकाबले तिगुना जल चुका जंगल, आग लगाने के आरोप में 436 मामले दर्ज
मंगलवार को जारी हुए पिछले 24 घंटे के आंकड़े वन विभाग के लिए राहत भरे साबित हुए। आग की चार घटनाओं में चार हेक्टेयर जंगल ही प्रभावित हुआ। लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस बार अब तक तीन गुना जंगल जल चुका है। एक नवंबर 2022 से 28 मई 2023 के बीच 484 आग की घटनाओं में 576 हेक्टेयर जंगल जला था। वहीं, नवंबर 2023 से 28 मई 2024 के बीच आग के 1152 मामले सामने आए। जिस वजह से उत्तराखंड में 1584 हेक्टेयर जंगल राख हो गया। अभी 15 जून तक चुनौती भरा समय जारी रहेगा। वन विभाग मुख्य फायर सीजन को 15 फरवरी से 15 जून तक मानता है। लेकिन सर्दियों में भी मामले सामने आने पर निगरानी का समय नवंबर से शुरू हो जाता है। इस फायर सीजन में मार्च तक स्थिति नियंत्रण में थी। करीब 32 हेक्टेयर जंगल ही राज्य में जला था। मगर अप्रैल की शुरूआत के साथ ही घटनाएं लगातार बढ़ती चली गई। गढ़वाल के मुकाबले कुमाऊं में स्थिति ज्यादा खराब रही। अपर प्रमुख वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा के अनुसार आग की घटनाओं पर नियंत्रण और निगरानी के लिए प्रदेश में 1438 क्रू स्टेशन और 174 वाच टावर बनाए गए हैं।
आग लगाने पर 436 मामले दर्ज
जंगल में आग के मामले बढऩे पर वन विभाग ने सख्ती बरतना भी शुरू कर दिया था। आग लगाने के आरोप में अभी तक 436 मामले दर्ज किए गए हैं। 371 मामलों में अज्ञात और 65 में नामजद प्राथमिकी हुई है। गढ़वाल में 471 आग की घटनाओं में 635 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए तो कुमाऊं में 586 मामलों में अब तक 827 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। साथ ही वन्यजीव विहार से जुड़े क्षेत्रों में 95 घटनाओं में 121 हेक्टेयर नुकसान हुआ है।
कुमाऊं में पांच और गढ़वाल में एक मौत
वन विभाग के अनुसार जंगलों की आग के कारण कुमाऊं में पांच लोगों की जान जा चुकी हैं जबकि गढ़वाल में एक। जबकि राज्य में छह लोग आग की चपेट में आकर घायल भी हुए हैं।