‘बाबासाहेब के नाम पर पाखंड…’, CM धामी ने कहा- कांग्रेस की सोच आंबेडकर विरोधी रही है, अब दिखावा क्यों?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कांग्रेस की सोच हमेशा आंबेडकर विरोधी रही है। कांग्रेस ने हमेशा उनका अपमान किया, मजाक उड़ाया और लज्जित किया। आज वह उनके नाम पर हक मांगने का ढोंग कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में विभाजनकारी राजनीति करने वाले लोग सुर्खियां बटोरने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के बयान के एक छोटे हिस्से को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने का कार्य कर रहे हैं।
मंगलवार को नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं और पंडित नेहरू द्वारा बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति किए गए अपमान के लिए कांग्रेस को पूरे देश से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई भी व्यक्ति मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देता है तो सदन में उसे बोलने का मौका दिया जाता है, लेकिन बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के इस्तीफे के बाद उन्हें सदन में बोलने तक नहीं दिया गया।
कांग्रेस ने बाबासाहेब को हमेशा अपमानित किया- धामी
अपने इस्तीफे में बाबासाहेब आंबेडकर ने पंडित नेहरू के खिलाफ बहुत कुछ लिखा है। उन्होंने लिखा कि सिर्फ मुसलमानों की चिंता की गई। अनुसूचित जाति और जनजाति को उचित संरक्षण नहीं दिया गया। कांग्रेस देश भर में भाजपा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का नाटक कर रही है। जिस कांग्रेस ने हमेशा उनका अपमान किया और उन्हें संविधान सभा का सदस्य तक नहीं बनने दिया, आज वह बाबासाहेब के प्रति प्रेम का दिखावा कर रही है।
कांग्रेस को अपना पाखंड बन करना चाहिए- धामी
कहा कि जिस कांग्रेस ने उन्हें 1952 के लोकसभा चुनाव और 1954 के उपचुनाव में हरवाया, जिस पार्टी ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया, जिस महान सपूत को भारत रत्न नहीं दिया और न ही उनका एक भी स्मारक बनने दिया, आज वे उनके नाम पर प्रेसवार्ता कर रहे हैं। कां ग्रेस को इस पाखंड को बंद कर देना चाहिए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी कांग्रेस को घेरा
उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी सरकारों में अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग का आरक्षण मुस्लिमों को देते हैं। वो ही अब बाबासाहेब के नाम पर झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वही पार्टी है, जो अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को लाभ देने के लिए आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक करना चाहती है। उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को भी स्पष्ट करने की चुनौती दी कि क्या वे इसके पक्षधर हैं।