राष्ट्रीय खेलों के शुभकंर ”मौली” का संवरेगा आशियाना, अलग से बनेगी कार्ययोजना; खाका खींचने में जुटा वन विभाग

38वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर मौली का आशियाना न केवल संवरेगा, बल्कि उसकी सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम भी उठाए जाएंगे। मौली कोई और नहीं, बल्कि उत्तराखंड का राज्य पक्षी मोनाल है, जो उच्च हिमालयी क्षेत्र की शान है। अब जबकि मौली के रूप में मोनाल पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है तो इसके संरक्षण के लिए अलग से कार्ययोजना बनाई जाएगी। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने विभागीय अधिकारियों को इसके निर्देश दिए हैं। कार्ययोजना में मोनाल का घर कहे जाने वाले बुग्यालों के संरक्षण के साथ ही इस खूबसूरत पक्षी की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने पर जोर रहेगा।

हिमालयी मोर के नाम से भी जाना जाता है मोनाल
समुद्र तल से 2100 से 4500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है खूबसूरत पक्षी मोनाल। इसे हिमालयी मोर के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड का उच्च हिमालयी क्षेत्र, मोनाल (लोफोफोरस इंपेजानस) के लिए मुफीद आश्रय स्थल है। यह फासियानिडे परिवार का हिस्सा है और दुर्लभ श्रेणी में शामिल है। सरकार ने भी इसे राज्य के प्रतीक चिह्नों में शामिल किया है। अब जबकि 28 जनवरी से राज्य में राष्ट्रीय खेल होने जा रहे हैं तो मोनाल को इसका शुभंकर बनाया गया है।
सुबोध उनियाल, वन मंत्री
इसके माध्यम से हिमालय की तरफ भी देश का ध्यान खींचने का प्रयास किया गया है। इस परिदृश्य के बीच मौली, यानी मोनाल को लेकर चर्चा और उत्सकुता होना स्वाभाविक है। इसके साथ ही सरकार ने अब मोनाल के संरक्षण के प्रयासों को और गति देने का निश्चय किया है।

इसलिए है संरक्षण की दरकार
मोनाल को भले ही राज्य पक्षी होने का गौरव प्राप्त है, लेकिन खतरे इस पर भी कम नहीं है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में बुग्याल (मखमली हरी घास के मैदान) इसके प्रमुख आश्रय स्थल हैं, जो प्रकृति की मार से जूझ रहे हैं। यही नहीं, अत्यधिक बर्फबारी होने की दशा में मोनाल के निचले क्षेत्रों में आने से शिकारियों की गिद्धदृष्टि भी इस पर रहती है। यद्यपि, मोनाल के संरक्षण का विषय वन विभाग की विभिन्न योजनाओं में शामिल है, लेकिन अब अलग से कार्ययोजना बनाई जा रही है, ताकि इसके संरक्षण और सुरक्षा को ठोस कदम उठाए जा सकें।

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