आपदा से नुकसान कैसे पटरी पर आए, इस चुनौती को पार पाना प्राथमिकता: सीएम धामी

देश के पहले एप आधारित रेडियो ”ओहो रेडियो” की ओर से आयोजित में तीन दिवसीय ”मैं उत्तराखंड हूं” कान्क्लेव सीजन-3 का भव्य आयोजन शुरू हो गया। पहले दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने सत्र में भी शिरकत करते हुए अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़े अनुभव साझा किए। साथ ही प्रदेश में आपदा के निबटने को भी विस्तार से बताया।कहा कि आपदा से नुकसान कैसे पटरी पर आए और इस चुनौती को पार पाना प्राथमिकता है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने ”उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि, ओं भूमि तेरी जय जयकार मेरु हिमालय” गीत भी गुनगुनाया। ”दैनिक जागरण” कार्यक्रम में मीडिया सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। शुक्रवार को मसूरी रोड स्थित होटल फेयरफिल्ड बाय मैरियट में आयोजित कान्क्लेव के पहले दिन दो सत्र हुए। पहले सत्र में ओहो रेडियाे के सीईओ आरजे काव्य का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से संवाद हुआ। अपने जीवन के साथ ही उत्तराखंड को लेकर मुख्यमंत्री ने मंच पर बात रखी। पहाड़ में आपदा की घटना पर मौसम के पूर्वानुमान को लेकर क्या किया जा सकता है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा का हमारे साथ चोली दामन का साथ हो गया है। हर वर्ष हमें इसका सामना करना पड़ता है। ये उत्तराखंड में नहीं ब्लकि विश्व में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण परिवर्तन के पीछे बड़ा कारण है। थराली, स्यानचट्टी, पौड़ी के पैठाणी, सैंजी, चेपड़ो, कपकोट, जखोली समेत कई जगह आपदा आई और जन माल की क्षति हुई। आपदा को रोक नहीं सकते लेकिन आपदा की चुनौती को कैसे पार पा सकते हैं इस पर सरकार कार्य कर रही है। जितनी भी एजेंसी हैं, सेना, हेली सेवा, स्वास्थ्य विभाग आदि सभी कार्य कर रहे हैं। आपदा से नुकसान कैसे पटरी पर आए और इस चुनौती को पार पाना प्राथमिकता रहती है। दून को एजुकेशन हब के रूप किस तरह देखते हैं इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून और इसके अलावा भी यहां कई देशी के लोग पढ़ने आते हैं। सिविल, इंजीनियरिंग, मेडिकल, सेना के क्षेत्र में युवाओं का रूझान बढ़ रहा है। सरकार छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए स्कालरशिप भी दे रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्या कभी आपके साथ हंसी मजाक भी की, इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री बड़े तत्वज्ञानी हैं। जबतक मैं उनसे मिला नहीं तो सोचा की कड़क होंगे। पहली बार मुलाकात के दौरान मैं संकोच कर रहा था कि क्या बात होगी, क्या प्रश्न पूछेंगे। मैं एक छात्र की तरह रातभर तैयार कर रहा था। लेकिन जब उनके सामने गया तो भूल गया कि उनके साथ बैठा हूं। वे देश के विश्वकर्मा हैं।
आज उनके नेतृत्व में भारत दुनिया का विकसित भारत बन रहा है। देश का आत्मविश्वास बढ़ा है। कार्यक्रम में एक श्रोता का सवाल था कि राजनीति में बहुत तनाव होता है, इस बीच ऐसा कौन है जो आपका श्रेष्ठ हो। इसपर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे तनाव नहीं होता। काम करते किसी दिन रात दो बज जाता है और सुबह पांच बजे उठ जाता हूं। लेकिन कई बार आपदा अथवा निधन जैसी कुछ घटनाएं जरूर मन को उदास कर देती है। मेरी मां बहुत प्यार करती है। उनका और उत्तराखंड की जनता का मुझपर पूरा आशीर्वाद है। मै जिस भी क्षेत्र में जाता हूं वहा लगता है कि उस परिवार का हिस्सा हूं। उनकी पीड़ा है तो मुझे भी है। उनके सहयोग से मुझे तनाव नहीं होता। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़े पहलुओ की जानकारी साझा की। बताया कि 11-12 वर्ष मैने बहुत रोपाई की। उस समय साधन कम थे तो मां और बहन के साथ खेत जोतने चले जाते थे। सुबह आठ से दोपहर एक बजे तक काम करते फिर एक घंटे का विश्राम होता और फिर सूर्य अस्त होने तक काम पर डटे रहते थे। आज भी कई लोग कहते हैं कि आपको रोपाई में प्रैक्टिस हैं तो मैं उन्हें भी यही बात बताता हूं।
मैने पटेला भी चलाया तो मां कहती थी इसमें बैल भाग जाते हैं गिर जाएगा। मैं यही कहना चाहूंगा कि खेती को अजमाएं, नवाचार से किसानों को जोड़ने पर जोर देना चाहिए। जो मैने कुछ दिन पूर्व धान रोपे थे उन्हें फिर से 31 को देखने जाऊंगा। कटाई के बाद सभी को आमंत्रित भी करूंगा। इस मौके पर सूचना महानिदेशक व उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी, ओहो रेडियो के मीडिया नेटवर्क के हेड (प्रोग्रामिंग एंड क्रियेटिव) प्रयांक चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।

 

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