केंद्र सरकार ने दिल्ली-देहरादून के लिए नए एक्सप्रेस वे को दी मंजूरी; जाने पूरी खबर

केंद्र सरकार ने दिल्ली-देहरादून के लिए नए एक्सप्रेस वे को मंजूरी देकर और नए साल में ही इसे शुरू करने का इरादा जाहिर कर जन आकांक्षाओं से फिर खुद को जोड़ने की कोशिश की है। केंद्र के इस कदम को भाजपा के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। इसी तरह जल जीवन मिशन के तहत शहरी निकायों में हर घर को नल और पेयजल की बाधारहित आपूर्ति, उज्ज्वला योजना का दायरा बढ़ाकर गरीबों और महिलाओं के लिए अहम माना जा रहा है। खास बात ये है कि सामाजिक क्षेत्र की मनरेगा जैसी योजना के लिए अतिरिक्त धनराशि का आवंटन किया गया है। ये योजना पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी। इसके साथ ही कुपोषण के खिलाफ जंग और किफायती आवासों को मुहैया कराने जैसे कदमों को भाजपा अपने लिए चुनाव के लिहाज से फायदेमंद मान रही है।

केंद्रीय बजट में हालांकि मोदी सरकार ने उन राज्यों को ज्यादा तवज्जो दी, जहां इसी वर्ष चुनाव होने हैं। वहीं प्रदेश में भाजपा की धुर विरोधी कांग्रेस ने मोदी सरकार के बजट में पेट्रोल व डीजल पर एग्री सेस, दालों की कीमत बढ़ने के अंदेशे को चुनावी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। पार्टी सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को लेकर भी सियासी पैंतरा आजमाने की तैयारी है। इस कड़ी में कर्मचारियों को आयकर में राहत नहीं दिए जाने को लेकर भी कांग्रेस आगामी चुनाव में मुखर होती दिखेगी।उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में केंद्र की महत्वाकांक्षी ढांचागत परियोजनाओं के साथ नए बजट में शहरी व ग्रामीण गरीबों और सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं भाजपा की खेवनहार बनेंगी। वहीं, महंगाई, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण और कर्मचारियों को आयकर में राहत को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस ने शुरू कर दी है।

चार धाम आलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन, भारतमाला, नई केदारपुरी का विकास, चार धाम रेलवे लाइन और टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन जैसी केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं उत्तराखंड में अवस्थापना विकास को नए आयाम दे ही रही हैं, साथ में भाजपा की चुनावी नैया को खेने में अहम भूमिका निभा रही हैं। सिर्फ पिछले लोकसभा चुनाव ही नहीं, निकायों और पंचायतों के चुनाव में भी भाजपा को इन परियोजनाओं के बूते सियासी लाभ मिला है। केंद्र की मोदी सरकार के नए बजट में अवस्थापना विकास और आधारभूत सुविधाओं पर जोर दिए जाने से उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भाजपा की बांछें खिली हैं।

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