SETU: उत्तराखंड में नीति आयोग की भांति सेतु का गठन, ये छह प्रकोष्ठ होंगे हिस्सा; इस तरह करेगा काम

उत्तराखंड ने पहल करते हुए नीति आयोग की भांति स्टेट इंस्टीट्यूट फार एंपावरिंग एंड ट्रांसफार्मिंग उत्तराखंड (सेतु) का गठन कर दिया है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद नियोजन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही राज्य योजना आयोग समाप्त किया गया है। नियोजन विभाग के अंतर्गत संचालित सभी प्रकोष्ठ सेतु में समायोजित किए जाएंगे। इसका ढांचा त्रिस्तरीय का होगा। ढांचे के अंतर्गत नीतिगत निकाय, प्रशासनिक निकाय एवं विशेषज्ञ एवं तकनीकी निकाय बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री नीतिगत निकाय के अध्यक्ष होंगे।
प्रदेश में सेतु का गठन कर सरकार ने केंद्र की योजनाओं, सुशासन की नीति और साक्ष्य आधारित योजना यानी डाटा का सदुपयोग कर गुणवत्तापरक कार्ययोजना की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। बजट का बेहतर नियोजन से लेकर नीतियों को प्रभावी तरीके से लागू करने और सुशासन को केंद्र में रखकर आमजन को लाभ पहुुंचाने को प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में बीते नवंबर माह में मसूरी में वरिष्ठ नौकरशाहों के चिंतन शिविर में सेतु की स्थापना का निर्णय लिया गया था। मंत्रिमंडल बीती तीन मई को सेतु के गठन को हरी झंडी दिखा चुका है।
नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की। संस्था के अंतर्गत तीन केंद्र बनेंगे। इनमें आर्थिक एवं सामाजिक विकास केंद्र, पब्लिक पालिसी एवं सुशासन केंद्र और साक्ष्य आधारित योजना केंद्र गठित किए जाएंगे। इन तीनों केंद्रों में दो-दो यानी कुल छह सलाहकारों की नियुक्ति की जाएगी। सेतु के सांगठनिक ढांचे में नीतिगत निकाय के अध्यक्ष मुख्यमंत्री व नियोजन मंत्री उपाध्यक्ष होंगे।

वर्तमान में मुख्यमंत्री के पास ही नियोजन विभाग का भी दायित्व है। ऐसे में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य को सौंपी जाएगी। समस्त मंत्री इसके सदस्य होंगे। मुख्य सचिव, समस्त अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना विकास आयुक्त, प्रमुख सचिव या सचिव वित्त इसके पूर्णकालिक सदस्य एवं सचिव नियोजन सदस्य सचिव होंगे। \\B\\B

बाहर से रखे जाएंगे सीईओ एवं सलाहकार:
प्रशासनिक निकाय के सदस्य सचिव सचिव नियोजन होंगे। अपर सचिव नियोजन पदेन सदस्य सदस्य होंगे। निदेशक समन्वय व अभिसरण भी इसमें सम्मिलित होगा। विशेषज्ञ एवं तकनीकी निकाय में उपाध्यक्ष नियोजन मंत्री अथवा मनोनीत मंत्री होंगे। मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति खुले बाजार से होगी। इस पद का मानदेय चार लाख रुपये प्रतिमाह है। छह सलाहकारों की नियुक्ति आउटसोर्स अथवा खुले बाजार से होगी।
इनके लिए भी मानदेय चार लाख रुपये प्रतिमाह नियत किया गया है। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति प्रतिनियुक्ति से की जाएगी। डोमेन लीड के छह पद व प्रोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट के 12 पद भी खुले बाजार अथवा आउटसोर्स से नियुक्त होंगे। इनका मानदेय क्रमश: 2.50 लाख, एक लाख रुपये प्रतिमाह होगा। 10 हजार की राशि पर आउटसोर्स से इंटर्न भी रखे जाएंगे। इनकी संख्या अधिकतम 20 होगी।

ये छह प्रकोष्ठ होंगे सेतु का हिस्सा:
संपत्ति मुद्रीकरण, बाह्य वित्त सहायतित, भारत सरकार बजट, बजट योजना निर्माण, भारत सरकार संचार एवं व्यय वित्त।

सेतु में समायोजित होंगे नियोजन विभाग के सात प्रकोष्ठ:
सीपीपीजीजी (पब्लिक प्लानिंग एंड गुड गवर्नेंस सेल), पीपीपी, संपत्ति मुद्रीकरण, टीएसी, ईएफसी, जीआइएस, हिमालयन सेल। शासनादेश में यह भी कहा गया कि सेतु के क्रियाशील होने तक राज्य योजना आयोग एवं ये समस्त प्रकोष्ठ यथावत संचालित होते रहेंगे।

 

 

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