अब जातिवाद से मतदाताओं को साधने का प्रयास, जितनी बड़ी विरादरी उसके उतने वोट।


अभी तक हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बने। 2022 का चुनाव रोचक होने जा रहा है। प्रत्याशियों के चयन के बाद रिश्तेदारी नातेदारी राजपूत ब्राह्मण आदि वोटों को सधाने का प्रयास हो सकता है।
चुनाव को अब जातिवाद से साधने का भी प्रयास होने लगा है। जिस प्रत्याशी की जितनी बड़ी विरादरी और रिश्तेदारी वह उतने वोटों का आंकलन करने लगे हैं। नामांकन की तारीख नजदीक आते ही इंटरनेट मीडिया के जरिए वह लगातार संपर्क भी बनाए हुए हैं। वहीं, राजनीति दल भी टिकटों को लेकर गुणाभाग करने में जुटी है। बड़े दलों ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं।
विधानसभा चुनाव के प्रबल दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बड़े दलों के अलावा अब छोटे दल और निर्दलीय भी चुनाव मैदान में उतरने को आतुर हैं। जैसे-जैसे नामांकन की तिथि नजदीक आ रही है। निर्दलीय इंटरनेट मीडिया के जरिए दावेदारी ठोकने लगे हैं। अभी तक आप और सपा ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि भाजपा, कांग्रेस के प्रत्याशियों को लेकर हाइकमान में मंथन चल रहा है। बसपा भी दोनों सीटों पर चुनाव लडऩे की बात कर रही है। उक्रांद के अलावा उत्तराखंड परिर्वतन पार्टी भी गुणा-भाग लगाने में जुटा है। दोनों सीटों पर अभी तक हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बने। 2022 का चुनाव रोचक होने जा रहा है। प्रत्याशियों के चयन के बाद रिश्तेदारी, नातेदारी, राजपूत, ब्राह्मण आदि वोटों को सधाने का प्रयास हो सकता है।

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