सत्ता के गलियारे से: धामी के काम पर नमो की मुहर
उत्तराखंड को वंदे भारत ट्रेन की सौगात तो मिली ही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पीठ भी थपथपा दी। अपने वर्चुअल संबोधन में मोदी ने कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार की दिल खोलकर तारीफ की। प्रधानमंत्री बोले कि उत्तराखंड जिस तरह कानून व्यवस्था को सर्वोपरि रखते हुए विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है, यह बहुत सराहनीय है। यह देवभूमि की पहचान को संरक्षित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री धामी के दूसरे कार्यकाल में चलाए गए अभियानों के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री की इस बात को समझा जा सकता है। उन्होंने अपने संबोधन के जरिये इन पर मुहर लगा दी। राज्य में चल रही विकास परियोजनाओं को नवरत्नों की संज्ञा देते हुए मोदी ने कहा कि आने वाले समय में देवभूमि पूरे विश्व की आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनेगी। अब इससे बड़ा आशीर्वाद धामी के लिए क्या हो सकता है।
प्रतीक्षा लंबी होती है, अब आया समझ:
प्रतीक्षा हमेशा लंबी होती है, यह अब भाजपा नेताओं को अच्छी तरह समझ आ गया है। लग रहा है धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। मिथक ध्वस्त कर लगातार दूसरी बार सत्ता का वरण करने वाली भाजपा के पास अपने कार्यकर्ताओं को कृतार्थ करने का पूरा मौका है, लेकिन समय है कि निकला जा रहा है। पुष्कर सिंह धामी ने जब पिछले साल मार्च में दूसरी बार सरकार की कमान थामी, तब से ही मंत्रिमंडल में तीन स्थान खाली रखे, अब कैबिनेट मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के बाद चौथा स्थान भी रिक्त हो गया। वैसे ही अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल की बाध्यता है, इनमें से चार, यानी एक-तिहाई स्थान खाली हैं। माना कि छोटा राज्य, छोटा मंत्रिमंडल, लेकिन इतना छोटा कब तक। साथ ही निगमों, आयोगों में दायित्व बंटवारा भी अब तक नहीं हुआ, जबकि महीनों पहले इसके लिए सूची तक तैयार कर ली गई थी।
कांग्रेस के धामी नैनीताल चले चुनाव लडऩे:
प्रदेश में पार्टी के भविष्य को लेकर शंका कहें या राजनीतिक महत्वाकांक्षा, कांग्रेस के एक अन्य नेता ने भी लोकसभा चुनाव में ताल ठोकने की मंशा जाहिर कर दी है। अब पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से विधायक हरीश धामी ने नैनीताल सीट से चुनाव लडऩे के लिए दावेदारी पेश की है। इससे पहले पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत हरिद्वार से चुनाव लडऩे की इच्छा जता चुके हैं। यह बात अलग है कि इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बगैर नाम लिए सवाल खड़े कर चुके हैं, लेकिन फिलहाल हरीश धामी के सामने नैनीताल में इस तरह की कोई दिक्कत नहीं आने वाली। पिछले चुनाव में यहां भाजपा के अजय भट्ट का मुकाबला करने हरीश रावत उतरे थे, लेकिन नमो मैजिक में टिक नहीं पाए। रावत इस बार खुद हरिद्वार में दिलचस्पी ले रहे हैं, जहां से 2009 में चुनाव जीत केंद्र में मंत्री बने थे। मतलब धामी का रास्ता साफ।
यूसीसी पर असमंजस, इसलिए कर दिया बहिष्कार:
धामी सरकार समान नागरिक संहिता, यानी यूसीसी को राज्य में लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है, लेकिन कांग्रेस के लिए यह गले की हड्डी बन गया है। पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को मुस्लिम यूनिवर्सिटी के चक्रव्यूह में ऐसे फंसाया कि आज तक पार्टी नेता सफाई देते घूम रहे हैं। स्थिति यह कि कांग्रेस खुलकर स्टैंड तक जाहिर नहीं कर पा रही है। हाल में देहरादून में यूसीसी का ड्राफ्ट बनाने के लिए गठित समिति ने राजनीतिक दलों को अपनी बात रखने को आमंत्रित किया। कांग्रेस के सामने असमंजस, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने रास्ता निकाला। बैठक का यह कहते हुए बहिष्कार कि सरकार ने ड्राफ्ट ही उपलब्ध नहीं कराया, तो कैसे इस बारे में कुछ कहें। अलबत्ता, पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री नवप्रभात इस पर मुखर दिखे। बोले, अगर इससे सामाजिक सद्भाव बढ़ेगा तो पार्टी इसका स्वागत करेगी।