उदाहरण बनेगी उत्तराखंड की पहल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बढ़ा कद

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने संबंधी विधेयक मंगलवार को विधानसभा में प्रस्तुत होने के साथ ही यह दिन हमेशा के लिए यादगार बन गया है। यह स्वाभाविक भी है। स्वतंत्रता के बाद जो काम अब तक अन्य राज्य नहीं कर पाए, वह उत्तराखंड सरकार ने कर दिखाया। सदन में यह विधेयक पारित होने और फिर राजभवन के बाद राष्ट्रपति भवन की मुहर लगने पर राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू हो जाएगा। इससे उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा।

राज्यों के लिए उदाहरण बनेगी यह पहल
यही नहीं, धामी सरकार की यह पहल जहां दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण बनेगी, इसने देशभर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक कद में भी बढ़ोतरी कर दी है। मार्च 2021 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभालने के बाद से लेकर अब तक पुष्कर सिंह धामी व उनकी सरकार एक के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर देशभर में चर्चा के केंद्र में है।

2022 के विधानसभा चुनाव में की थी घोषणा
मुख्यमंत्री धामी ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में घोषणा की थी कि दोबारा सत्ता में आने पर राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। जनता ने इसे स्वीकारा और फलस्वरूप लगातार दूसरी बार राज्य में भाजपा की सरकार बनी। मुख्यमंत्री ने भी अपने वादे के अनुरूप दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में ही राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के मद्देनजर ड्राफ्ट तैयार करने को विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया। इसके पश्चात विशेषज्ञ समिति गठित हुई और समिति से ड्राफ्ट मिलने के पश्चात अब सरकार ने विधानसभा में इससे संबंधित विधेयक भी प्रस्तुत कर दिया है।

भाजपा शासित राज्य ला सकते हैं यूसीसी
यूसीसी के कानून बनने पर राज्य में सभी के लिए सिविल कानून भी एक समान हो जाएंगे। समान नागरिक संहिता कानून लागू होने के बाद अन्य राज्य भी इसी तरह की पहल अपने यहां कर सकेंगे। विशेषकर भाजपा शासित राज्य इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं, जबकि अन्य पर इसके लिए दबाव बनेगा। थोड़ा पीछे मुड़कर देखें तो सरकार ने राज्य में भर्ती परीक्षाओं में नकल की रोकथाम के लिए सख्त कानून बनाया है। इसे देशभर का सबसे कड़ा कानून बताया जा रहा है।

लव जिहाद से लेकर लैंड जिहाद तक नियम होंगे कड़े
यही नहीं, अब केंद्र सरकार भी सोमवार को संसद में नकलरोधी कानून से संबंधित विधेयक लेकर आई है। धामी सरकार के अन्य निर्णयों को देखें तो लैंड जिहाद थामने के दृष्टिगत कानून को कठोर बनाने के साथ ही सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने को चलाई गई मुहिम देशभर में चर्चा के केंद्र में रही थी। इसी प्रकार लव जिहाद पर अंकुश के दृष्टिकोण से मतांतरण कानून के सख्त किए गए प्रविधान भी चर्चा के केंद्र में रहे थे। ऐसी ही तस्वीर सरकार के अन्य कदमों को लेकर भी है।

बढ़ गया मुख्यमंत्री धामी का राजनीतिक कद
समग्रता में देखें तो सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयों ने मुख्यमंत्री धामी के राजनीतिक कद को बढ़ाने का भी काम किया है। यह इससे भी साबित होता है कि कुछ समय पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री धामी को मोर्चे पर उतारा था। अब जबकि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, तो आने वाले दिनों में भाजपा नेतृत्व उत्तराखंड की इस पहल का लाभ लेने का प्रयास करेगा। साथ ही मुख्यमंत्री धामी का चुनाव में अधिक से अधिक उपयोग किया जाएगा, इसमें संदेह नहीं है।

 

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