Uttarakhand के 974 स्कूलों में बेटियां खुले में जाती हैं शौंच, कई शौचालय जर्जर तो कहीं शिक्षक नहीं खोलते ताला

सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं देने के मामले में शिक्षा विभाग आगे तो बढ़ रहा है, लेकिन विद्यालय स्तर पर जर्जर शौचालय की मरम्मत की सुध नहीं ली जा रही है। कई विद्यालयों में पानी नहीं होने से शौचालयों का प्रयोग नहीं हो रहा है।
कुछ विद्यालयों के शिक्षक शौचालयों पर ताला लगाकर रखते हैं। ऐसे में आज भी 11,380 प्राथमिक विद्यालयों में से 974 में लड़कियों और 798 विद्यालयों में लड़कों को शौचालय सुविधा नहीं मिल रही है।

केंद्र सरकार से 1,205 करोड़ रुपये स्वीकृत
इस वित्त वर्ष में समग्र शिक्षा के तहत राज्य को केंद्र सरकार से 1,205 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसमें से विद्यालयों को शौचालय निर्माण के लिए बजट भी आवंटित किया गया है, लेकिन स्कूल स्तर पर अनदेखी के कारण शौचालय सुविधा में हम शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए हैं।

शत प्रतिशत लक्ष्य अभी दूर
हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इन्हीं विद्यालयों में लड़कियों के लिए 319 व लड़कों के लिए 248 नए शौचालय बन पाए हैं, लेकिन शत प्रतिशत लक्ष्य अभी दूर है। शौचालय निर्माण का यह आंकड़ा तब है, जब पिछले एक वर्ष के बीच 154 प्राथमिक विद्यालय बंद हो चुके हैं। सिर्फ जनपद देहरादून ऐसा है जहां 869 प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय बन गए हैं। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़के और लड़कियों के लिए शौचालय सुविधा है या नहीं, यह आंकड़े किसी निजी कंपनी व संस्थान ने नहीं, बल्कि शिक्षा विभाग ने स्वयं यूनिफाइड डिस्ट्रिक इंर्फोमेशन सिस्टम फार एजूकेशन (यू-डायस) में अपलोड किए हैं। पिछले वर्ष जहां 1,089 प्राथमिक विद्यालयों शौचालय विहीन थे, जिनमें से केवल 248 में ही एक वर्ष के भीतर शौचालय सुविधा मिल पाई। इसी प्रकार पिछले वर्ष 1,330 विद्यालयों में छात्राओं के शौचालय नहीं थे, इस वर्ष 329 विद्यालयों में शौचालय बन पाए हैं।

वे विद्यालय जहां शौचालय नहीं
जिला, छात्रों के, छात्राओं के
अल्मोड़ा, 101,141
बागेश्वर, 53, 44
चमोली, 31, 75
चंपावत, 22,35
हरिद्वार, 180 12
नैनीताल, 92, 66
पौड़ी, 102, 135
पिथौरागढ़, 63,72
रुद्रप्रयाग, 522, 51, 71
टिहरी, 1252, 138, 242
यूएसनगर, 771, 51,51
उत्तरकाशी, 676, 66, 124

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