उत्तराखंड में सामने आएगी असल तस्वीर, 5388 संपत्ति पंजीकृत; 2071 ही डिजिटाइज्ड

देशभर में चर्चा का विषय बने वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद जब इस कानून के प्रविधान लागू होंगे तो उत्तराखंड में स्थित वक्फ संपत्तियों की भी असल तस्वीर सामने आएगी। अभी तक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में 2147 वक्फ संपदा पंजीकृत है, जिसमें 5388 अचल संपत्तियां हैं। इनमें भी केवल 2071 के अभिलेख ही अब तक डिजिटाइज्ड हो पाए हैं। बड़ी संख्या में वक्फ संपत्ति के तो अभिलेख ही उपलब्ध नहीं हैं। अधिकांश संपत्तियों में विवाद है। नया कानून लागू होने पर जब सर्वे होगा तो इसमें सही स्थिति सामने आएगी।

2003 में हुआ था वक्फ बोर्ड का गठन
उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड का गठन वर्ष 2003 में हुआ था। इसके पश्चात वक्फ संपदा (भूमि) के बोर्ड में पंजीकरण की शुरुआत की गई, लेकिन इसकी रफ्तार बेहद धीमी रही। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अब तक केवल 2146 वक्फ संपदा का ही पंजीकरण हो पाया है, जबकि राज्य में यह बड़े पैमाने पर होने का अनुमान है। बताते हैं कि जब बोर्ड का गठन हुआ तो उसे अभिलेख आधे-अधूरे ही मिले। राजस्व जिला सहारनपुर से तब हरिद्वार व देहरादून के रिकार्ड भेजे गए थे, लेकिन इन्हें वापस लौटा दिया गया। नतीजतन, इन जिलों में वक्फ संपत्ति को लेकर विवाद भी सर्वाधिक हैं। यही नहीं, वर्ष 1984 के बाद वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण भी नहीं हुआ है। वक्फ संशोधन कानून लागू होने के बाद अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी वक्फ संपत्तियों का सर्वे होगा।

हरिद्वार व देहरादून से संबंधित रिकार्ड मांगे
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के अनुसार सर्वे में साफ होगा कि राज्य में वक्फ की असल संपत्तियां कितनी हैं। उन्होंने कहा कि सहारनपुर से हरिद्वार व देहरादून की वक्फ संपत्ति से संबंधित रिकार्ड भी मांगे गए हैं। उन्होंने कहा कि संशोधित वक्फ कानून लागू होने के पश्चात तमाम मामलों में पारदर्शिता आएगी और वक्फ बोर्ड वास्तव में गरीबों व जरूरतमंदों की सेवा कर सकेंगे।
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि अब सभी वक्फ बोर्ड सरकारों के साथ मिलकर कार्य करेंगे। वक्फ की भूमि पर जरूरतमंदों के लिए घर, माडर्न मदरसे, विश्वविद्यालय, अस्पताल खुलेंगे। जरूरतमंदों को पेंशन भी दी जा सकेगी। साथ ही वक्फ बोर्ड अपनी आय बढ़ाने के लिए कदम उठा सकेंगे।

 

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