उत्तराखंड में संवरेगी खेती-किसानी की तस्वीर, मिलेट समेत चार कृषि नीतियों का शुभारंभ

खेती-किसानी की तस्वीर संवारने के उद्देश्य से राज्य में चार कृषि नीतियां लागू कर दी गई हैं। कैबिनेट के निर्णय के आलोक में मिलेट, कीवी व ड्रैगन फ्रूट नीति और सेब तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना के संबंध में शासन ने आदेश जारी कर दिए हैं। प्रदेश में मिलेट, यानी मोटे अनाजों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कैबिनेट ने हाल में ही मिलेट नीति को मंजूरी दी थी। इसके तहत वर्ष 2030-31 तक 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को मंडुवा, झंगोरा, कौणी, सांवा, रामदाना जैसे मोटे अनाज की फसलों से आच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए फसलों की बोआई से लेकर खरीद के साथ ही उपकरणों तक के लिए सब्सिडी का प्रविधान किया गया है। इन सभी कार्यों पर 134 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी। कीवी फलोत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कीवी नीति लागू की गई है। अगले छह वर्ष तक 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में कीवी की खेती के लिए 894 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस मुहिम से राज्य में 14 हजार मीट्रिक टन कीवी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इससे नौ हजार किसानों को फायदा होगा। ड्रैगन फ्रूट (कमलम) नीति के तहत 228 एकड़ भूमि में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर 350 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के तहत होने वाले कार्यों पर 15 करोड़ रुपये सरकार खर्च करेगी। इसके अलावा सेब उत्पादन को बढ़ावा देने को भी वर्ष 2030-31 तक के लिए सेब तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना लाई गई है। 144.55 करोड़ की इस योजना के तहत पांच हजार हेक्टेयर में सेब की अति सघन बागवानी का लक्ष्य है। सेब भंडारण व ग्रेडिंग के लिए सीए स्टोर व सार्टिंग-ग्रेडिंग इकाइयों की स्थापना की जाएगी। इनमें 50 से 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी का प्रविधान किया गया है।

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